Last updated on September 5th, 2024 at 12:00 pm
बौद्ध धम्म में विधी संस्कार साहित्य का महत्व क्या है?
सर्वप्रथम, मै आप सभी का, बुद्धनीती धम्म मंच पर स्वागत करता हूँ।
प्रिय धम्म बंधुओं, मै आपको इस लेख में बताना चाहूँगा की बौद्ध धम्म में जन्म के पहले ‘गर्भमंगल’ संस्कार से लेकर मृत्यू के पश्चात ‘स्मृतीदिन’ तक लगातार संस्कारों की मालिका चलती है, जो अंधश्रद्धा से परे और विज्ञान पर आधारित एक शृंखला होती है।
इन सारे संस्कारों को पूरा करने के लिए हमें बौद्ध संस्कार विधी साहित्य की आवश्यकता होती है। जिसका बौद्ध धम्म में अलग ही महत्व है, जो हमारे जीवन पर आधारीत है।
बौद्ध धम्म में संस्कार विधी जितनी विज्ञानवादी और पवित्र है, विधी संस्कार साहित्य भी उतना ही पवित्र है और किसी भी अंधश्रद्धा से कोसों दूर है। क्यों की यह हमारे जीवन से जुडा है और हमें सुखदायक जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
तो चलीए, शुरू करते है, आज का लेख ‘बौद्ध धम्म में विधी संस्कार साहित्य का महत्व क्या है?‘
१) बौद्ध धम्म संस्कार विधि में आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले साहित्य :
सबसे पहले समझने वाली बात यह है की, । बुद्ध प्रतिमा की पूजा की जाती है। लेकीन क्यों? बुद्ध ने कभी नही कहा के वे ईश्वर है और उनकी पूजा करने से मृत्यू पश्चात मोक्ष या काल्पनिक स्वर्ग की प्राप्ती होगी। भगवान बुद्ध ने स्वयं को कभी मोक्षदाता या मुक्तीदाता नही कहा। हमेशा मार्गदाता बने रहे। अगर बुद्ध ने उनकी पूजा करने को नही कहा, तो आखिर हम उनकी पूजा क्यों करते है?
१) बुद्ध प्रतिमा :
बौद्ध विधी संस्कार साहित्य में भगवान बुद्ध की प्रतिमा होती है। बुद्ध प्रतिमा की पूजा की जाती है। लेकीन क्यों? बुद्ध ने कभी नही कहा के वे ईश्वर है और उनकी पूजा करने से मृत्यू पश्चात मोक्ष या काल्पनिक स्वर्ग की प्राप्ती होगी। भगवान बुद्ध ने स्वयं को कभी मोक्षदाता या मुक्तीदाता नही कहा। हमेशा मार्गदाता बने रहे। अगर बुद्ध ने उनकी पूजा करने को नही कहा, तो आखिर हम उनकी पूजा क्यों करते है?